पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम क्या है? | paryavaran suraksha adhiniyam

नमस्कार दोस्तों, पर्यावरण हमारे जीवन का यह काफी महत्वपूर्ण हिस्सा है, तथा इस को स्वस्थ रखने का कार्य भी हमारा ही है। यदि हम इस पर्यावरण को स्वस्थ नहीं रखेंगे तो इसके अनेक दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम क्या है, यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।

इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं कि पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम क्या है, हम आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी इस पोस्ट के अंतर्गत शेयर करने वाले हैं। तो ऐसे में आज का की यह पोस्ट आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाली है, तो इसको अंत जरूर पढ़िए।

पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम क्या है?

दोस्तों कई अलग-अलग प्रकार की परीक्षाओं के अंतर्गत पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम से संबंधित सवाल पूछे जाते हैं, तथा वहां पर अनेक छात्रों को इस सवाल के बारे में जानकारी नहीं होती है। यदि दोस्तों आपको भी इस विषय के बारे में कोई जानकारी नहीं है, तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं कि हमारे भारत देश के संविधान के अंतर्गत अनुच्छेद 253 के तहत पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम बनाया गया है, और इस पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम के तहत प्रत्येक भारतीय नागरिक का यह दायित्व होता है कि वह इस पर्यावरण को सुरक्षा प्रदान करेगा, इसकी रक्षा करने के लिए प्रयास करेगा, तथा देश के वनों तथा वन्य जीवो की रक्षा करने का प्रयास करें।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम से जुड़ी कुछ खास बातें

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1. पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम को पहली बार संसद के द्वारा 23 मई 1986 को पारित किया गया था, तथा उसके बाद यह भारत देश के अंतर्गत 19 नवंबर 1986 को जारी किया गया था।

2. भारत की संविधान के पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत 4 अध्याय तथा 26 धाराएं शामिल है।

3. भारत के अंतर्गत पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम को जारी करने का मुख्य उद्देश्य यही था, कि सरकार पर्यावरण को बचाने के लिए अलग-अलग तरह से प्रयास करना चाहती है। इसके अलावा पर यहां पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्याओं से सामना करने में भी इससे काफी मदद मिलने वाली है। पर्यावरण हमारे शरीर तथा हमारे जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण है, तो इसकी रक्षा करना हमारा एक काफी अहम कर्तव्य है।

4. दोस्तों इस पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम के अलग-अलग अध्याय के बारे में पर्यावरण से संबंधित अलग-अलग चीजों के बारे में वर्णन किया गया है, तथा पर्यावरण के अलग-अलग कानूनों के बारे में जानकारी दी गई है। इसमें यदि कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, तो इसके अंतर्गत जारी की गई धाराओं के अनुसार उस व्यक्ति को सजा दी जा सकती है।

आज आपने क्या सीखा

तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको बताया कि पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम क्या है, हमने आपको इस पोस्ट के अंतर्गत के विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। इसके अलावा हमने आपके साथ इस पोस्ट के अंतर्गत भारत सरकार के द्वारा जारी किया गया paryavaran सुरक्षा अधिनियम से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां भी शेयर की है, जैसे कि पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम क्या है, भारत में इसकी शुरुआत क्यों की गई थी, तथा इसकी शुरुआत के पीछे क्या क्या कारण था।

आज की इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी को देने का प्रयास किया है। हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा दी गई यह इंफॉर्मेशन पसंद आई है, तथा आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया जानने को मिला है। इस पोस्ट को सोशल मीडिया के माध्यम से आगे शेयर जरूर करें, तथा इस विषय के बारे में अपनी राय हमें नीचे कमेंट में जरूर बताएं।

FAQ

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम से आप क्या समझते हैं?

EPA को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 253 के तहत अधिनियमित किया गया था, जो अंतरराष्ट्रीय समझौतों को प्रभावी बनाने के लिए कानून बनाने का प्रावधान करता है। संविधान का अनुच्छेद 48A निर्दिष्ट करता है कि राज्य पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने और देश के वनों और वन्यजीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के क्या उद्देश्य है?

पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिए उपाय करने की केंद्र सरकार की शक्ति- (1) इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन, केंद्र सरकार को ऐसे सभी उपाय करने की शक्ति होगी जो गुणवत्ता की रक्षा और सुधार के लिए आवश्यक हो सकते हैं। पर्यावरण की और प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उपशमन के लिए आवश्यक समझा।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में कितनी धाराएं हैं?

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 23 मई 1986 को संसद द्वारा पारित किया गया था और 19 नवंबर 1986 को लागू हुआ। इसमें चार अध्याय और 26 खंड शामिल हैं।

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